Himachal Pradesh: सुखु सरकार की बड़ी कार्रवाई, बस में राहुल गांधी और विपक्षी नेताओं के खिलाफ बहस देख रहे यात्री पर कार्रवाई
Himachal Pradesh के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु की सरकार ने एक अनोखी कार्रवाई की है, जिसे लेकर राजनीति गर्मा गई है। प्रदेश के सरकारी परिवहन विभाग हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (HRTC) के चालक और कंडक्टर को एक नोटिस जारी किया गया है। यह नोटिस इस बात को लेकर जारी किया गया है कि दोनों ने एक यात्री को बस में राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं के खिलाफ चल रही बहस को देखने से नहीं रोका। इस मामले को लेकर विपक्षी पार्टी बीजेपी ने सरकार पर कई सवाल उठाए हैं और राज्य की व्यवस्था पर तंज कसा है।
क्या था पूरा मामला?
यह घटना 1 नवम्बर 2024 की है, जब HRTC की एक बस शिमला से संजौली जा रही थी। बस में सवार यात्रियों में से एक यात्री अपने फोन पर एक बहस देख रहा था, जिसमें राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं के खिलाफ टिप्पणियां की जा रही थीं। यह मामला तब सामने आया जब शिकायतकर्ता सामुएल प्रकाश ने इस घटना की जानकारी दी। उनके आरोप के आधार पर HRTC के उप-मंडल प्रबंधक ने मुख्यमंत्री के सचिवालय की ओर से चालक और कंडक्टर को नोटिस भेजा है और उनसे तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
चालक और कंडक्टर पर कार्रवाई
शिकायत के बाद, HRTC ने इस घटना को गंभीरता से लिया और चालक तथा कंडक्टर को नोटिस भेजकर उनसे जवाब मांगा। इस मामले में यह पूछा गया है कि उन्होंने यात्री को बहस देखने से क्यों नहीं रोका। सरकार का कहना है कि यह मामला तब सामने आया जब यात्री का फोन राज्य के राजनीति से जुड़े मुद्दे पर बहस दिखा रहा था। हालांकि, यह घटना एक सामान्य बस यात्रा के दौरान घटित हुई थी, और इस मामले में सरकार ने कार्रवाई करते हुए चालक और कंडक्टर से स्पष्टीकरण की मांग की है।
बीजेपी ने उठाए सवाल
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर बीजेपी ने सुखु सरकार पर सवाल उठाए हैं। बीजेपी विधायक सुधीर शर्मा ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और हास्यास्पद स्थिति है कि एक यात्री के फोन पर चल रही बहस पर कार्रवाई की जा रही है। उनका कहना था कि बस का चालक और कंडक्टर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे – चालक बस चला रहा था और कंडक्टर टिकट जारी कर रहा था। ऐसे में, एक यात्री के फोन पर चल रही बहस को कैसे रोका जा सकता था? सुधीर शर्मा ने तंज कसते हुए यह भी कहा कि अगर सरकार को इतनी चिंता है, तो उन्हें बसों में मार्शल नियुक्त करने चाहिए, जो यात्रियों के फोन की जांच कर सकें और देख सकें कि कौन सा वीडियो देखा जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश की स्थिति इस समय कांग्रेस सरकार के कारण बहुत दुर्बल हो गई है। राज्य के लोग इस तरह की नीतियों से परेशान हैं, जो सरकार के आलोचकों को दबाने के लिए बनाई जा रही हैं।
सुखु सरकार की प्रतिक्रिया
सुखु सरकार ने इस पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लिया जाएगा और किसी भी प्रकार की राजनीति से जुड़े विवादों से बचने की कोशिश की जाएगी। सरकार का कहना है कि यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि बहस में कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की जा रही थीं, जो राज्य की राजनीति को प्रभावित कर सकती थीं। सरकार ने इस मामले में कार्रवाई की और यह सुनिश्चित किया कि बस में यात्रा करते समय यात्री किसी भी प्रकार के विवादास्पद सामग्री से दूर रहें।
राजनीतिक समीक्षकों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले में सुखु सरकार की कार्रवाई राज्य की राजनीति में एक नई दिशा को दर्शाती है। एक ओर जहां सरकार ने अपने स्तर पर इस मुद्दे को उठाया है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी जैसे विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है। उनका कहना है कि यदि यात्री खुद अपने फोन पर बहस देख रहे थे, तो इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए था।
कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि इस घटना के जरिए सरकार अपने समर्थकों को यह संदेश देना चाहती है कि वह अपनी सत्ता की रक्षा के लिए हर कदम उठा रही है, भले ही वह विवादित क्यों न हो। इस मामले ने यह भी सवाल उठाया है कि क्या यह कदम सरकार के आलोचकों को चुप कराने के लिए उठाया गया है, ताकि विपक्षी नेताओं के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणियों को फैलने से रोका जा सके।
बीजेपी की आलोचना और आम आदमी की राय
बीजेपी ने जहां इसे सरकार की तानाशाही प्रवृत्तियों का उदाहरण बताया है, वहीं आम आदमी इस पूरे मामले पर हैरान है। कुछ लोगों का मानना है कि सरकार को इस तरह की मामूली बातों से निपटने के बजाय बड़े मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। लोग पूछ रहे हैं कि क्या यह सरकार के लिए जरूरी था कि वह एक यात्री के फोन पर चल रही बहस को लेकर इतना बड़ा कदम उठाती।
वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि सरकार को इस तरह की घटनाओं पर ध्यान देना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की राजनीति में घसीटी जाने वाली बहस को रोकने की कोशिश की जा सके। उनका कहना है कि राजनीति को सार्वजनिक स्थानों से दूर रखना बहुत जरूरी है।
इस मामले में सुखु सरकार ने एक बार फिर साबित किया कि वह राज्य में किसी भी विवाद को टालने के लिए कड़ा कदम उठाने के लिए तैयार है। हालांकि, बीजेपी और कुछ अन्य राजनीतिक दलों ने इस फैसले की आलोचना की है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि राज्य की राजनीति अब नई चुनौतियों का सामना कर रही है।